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संस्कृत सिखाएगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गुर






संस्कृत सिखाएगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गुर 


पाणिनि की अष्टाध्याई पर शोध पत्र में हुआ खुलासा

प्रयागराज। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर साइंस की वह शाखा है जो इंसानों की तरह सोचने समझने या मानव बुद्धि की नकल करने वाले सिस्टम को बनाती है यह भविष्य में मानव समाज को बड़े पैमाने पर लाभान्वित कर सकता है। आने वाले कल में देववाणी संस्कृत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की आधारशिला बनने जा रही है। प्रयागराज में पाणिनि की अष्टाध्यायी के व्याकरण पर  दुनिया भर के दस देशों के संस्कृत स्कॉलर्स और आईआईटी के शोध छात्रों के शोध पत्र यह खुलासा हुआ है। कुंभ नगरी प्रयागराज में इन दिनों दुनिया भर के संस्कृत के स्कॉलर्स देववाणी संस्कृत के उद्भट विद्वान पाणिनि की रचना अष्टाध्याई के व्याकरण के उन गूढ़ रहस्यों की परतें खोलने में लगे हैं जो आने वाले समय में विज्ञान को नया आयाम देने जा रही है । आधुनिक विज्ञान का यह सबसे गूढ़ और रोचक संदर्भ है आर्टिफिसिल इंटेलिजेंस जिससे मानवीय बौद्धिक क्षमता और मशीनी गणना की दूरी पाटने का आविष्कार माना जाता है। 









संस्कृत विश्व विद्यालय के ललित कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में संस्कृत सबसे ज्यादा सहायक साबित हुई है। प्रयागराज के चंद्र शेखर आजाद परिषद में स्थित संस्कृत केंद्रीय विश्वविद्यालय में  पाणिनि के व्याकरण के और उसके अनुप्रयोग विषय पर हुई ऑफ लाइन और ऑन लाइन संगोष्ठी में पाणिनि के व्याकरण की उन विशेषताओं पर इसमें चिंतन हुआ है। जिसके ऊपर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बुनियाद तैयार हो सकती है। देश भर की आईआईटी और ट्रिपल आईटी के अलावा विदेशी स्कॉलर्स के शोध पत्र भी यहां पेश किए किए गए। जिसमे उस तथ्य सामने आया है कि पाणिनि की अष्टाध्याई के अंदर ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की एलोगोर्थियम को समझने और विकसित करने की क्षमता है। भारत की नई शिक्षा नीति भी आईपीएस यानी कि इंडियन नॉलेज सिस्टम को समृद्ध बनाने की बात कर रही है ।

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