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महाशिवरात्रि पर प्रयागराज के मंदिरों में रही भक्तों की धूम






महाशिवरात्रि पर प्रयागराज के मंदिरों में रही भक्तों की धूम


अलग-अलग मंदिरों में भक्तों ने विधि विधान से किया पूजन, अर्चन


प्रयागराज। फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है। क्योंकि इसे शिव और शक्ति के मिलन की रात माना जाता है शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पुराण कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन शिव जी पहली बार प्रकट हुए थे। एक ऐसा शिवलिंग जिसका न कोई आदि था ना कोई अंत
।प्रयागराज में भगवान शिव के कई मंदिर स्थित है। जहां भोर से ही श्रद्धालु अभिषेक के लिए जुटने लगे थे। लंबी-लंबी कतारों में घंटों इंतजार के बाद विधिवत पूजन का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। यह मंदिर अपनी अपनी विशेषता के लिए सदियों से जाने जाते हैं।









मनकामेश्वर महादेव मंदिर संगम से कुछ दूरी पर यमुना के तट पर मनकामेश्वर महादेव मंदिर है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुए हैं। कामदेव को भस्म करने के बाद भगवान शंकर यहां मनकामेश्वर के रूप में विराजमान हो गए। यहां भगवान राम के रुद्राभिषेक  करने का उल्लेख मिलता है। परिसर में ऋणमुक्तेश्वर भी मौजूद हैं। जिनका अभिषेक करने से समस्त ऋणों से मुक्ति मिल जाती है।
सोमेश्वर महादेव मंदिर गंगा नदी के तट पर अरैल में स्थित सोमेश्वर महादेव मंदिर चंद्रदेव ने परम पिता ब्रह्मा के आदेश पर बनवाया था। मान्यता है कि मंदिर के शिखर पर लगा त्रिशूल हर पूर्णिमा को अपनी दिशा बदल देता है। यहां अभिषेक करने से व्यक्ति बीमारी और दुर्घटनाओं से दूर रहता है।
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर मेंजा के भटौती ग्राम सभा में स्थित इस मंदिर के बावली का पानी कभी नहीं सूखता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने व्यापारियों की तपस्या पर प्रसन्न होकर पहाड़ी पर पानी निकाला था। यहां लोग मनोकामना पूर्ण के लिए दर्शन पूजन करते हैं।
कोटेश्वर महादेव मंदिर प्रयागराज के शिवकुटी के पास गंगा नदी के किनारे महर्षि भरद्वाज के आदेश पर भगवान राम ने ब्रह्म हत्या का पाप उतारने के लिए सवा करोड़ शिवलिंग की स्थापना की थी। मान्यता है कि आप शिवलिंग पर एक फूल चाहते हैं तो सवा करोड़ फूल जितना पुण्य प्राप्त होता है।

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