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वार्षिक गर्दभ मेले का हुआ आयोजन

 




वार्षिक गर्दभ मेले का हुआ आयोजन



गधा,खच्चर और घोड़े की खरीद के लिए दूर दराज से पहुंचे लोग



प्रयागराज। चैत मास के सप्तमी और अष्टमी को कौशांबी की सिराथू तहसील के कड़ाधाम के निकट लगने वाले अनोखे वार्षिक गर्दभ मेले में हजारों लोग जुटी रही। 14 और 15 मार्च तक चलने वाले इस मेले में गधे सहित खच्चर और घोड़े की खरीद फरोख्त के लिए प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश,बिहार,पंजाब और दिल्ली जैसे इलाको से व्यापारी यहां पहुंचे। मेले में ज्यादा भार ढोने और मजबूत शरीर के कारण टीपू नस्ल के गधे की मांग सबसे ज्यादा रही। धार्मिक मान्यता के अनुसार शीतला मां की सवारी गधे को माना जाता है। सप्तमी और अष्टमी को यह आने वाले भक्त मेले में मौजूद गधे को हरा चारा,गुड और चना खिलाते है। आयोजक मंडल के रवि पांडा ने बताया कि पुराने समय से पांडा और धोबी बिरादरी के लोग इस मेले का आयोजन करते हैं। मेले को रोचक बनाने के लिए आयोजक यहां बिकने वाले गधे, खच्चरऔर घोड़ों का नाम फिल्मी कलाकारों और सेलिब्रिटी के नाम पर रखते हैं। गधों की कीमत पांच हजार से पचास हजार के बीच में होती है।





गर्दभ मेला के प्रथम दिन सबसे महंगी कीमत मे 50500 रू की गधी रही।जिसको चित्रकूट के रहने वाले विजय कुमार ने खरीदा। दूसरे दिन सबसे महंगा एक खच्चर बिका। जिसको जहानाबाद फतेहपुर निवासी गुड्डू ने 43500रू में खरीदा। जिसको बांदा जिले के लल्लू सोनकर ने बेचा था।वही दूसरे स्थान पर गधी रही। जिसकी कीमत 30500 रही। जिसको फतेहपुर निवासी गुड्डू पुत्र वालिक ने ही खरीदा। 25 हजार की कीमत में रायबरेली के रहने सूरजखान ने तीसरे नंबर पर रही गधी को खरीदा।




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