बुजुर्ग मातृ शक्ति संग परिंदों ने भी मनाया रंग पंचमी का त्यौहार
उमा शंकर मिश्रा की रिपोर्ट
जबलपुर: खारीघाट स्थित मां नर्मदा वानप्रस्थ आश्रम में बुजुर्गों व बेजूबा परिंदों के साथ रंग पंचमी का आयोजन धूम धाम से मनाया गया। इस अवसर पर आश्रम की संचालिका डॉक्टर आराधना सिंह चौहान ने बताया की प्रेम उत्साह व रंगो के इस त्यौहार में होली व रंग पंचमी का त्योहार हर कोई अपनो के साथ धूम धाम से मनाते है, लेकिन बेघर हुई बुजुर्ग महिलाएं जिनका सहारा सिर्फ अब मां नर्मदा वानप्रस्थ आश्रम है और उनकी बुढ़ी आंखों में अपनो की याद बनी रहे इस लिए आज ये रंग पंचमी का आयोजन किया गया। साथ ही बुजुर्ग महिलाओं ने बेजुबान परिंदों को कंधे पर बैठा कर उत्साह के साथ खूब नाच गा कर रंग पंचमी के त्योहार को सफल बनाया।
पुण्यसलिला नर्मदा के किनारे हाल ही में मां नर्मदा वानप्रस्थ आश्रम ने अपनी स्थापना के तीन वर्ष पूर्ण किए। यहां की संचालिका डॉक्टर आराधाना सिंह चौहान अपनी मां के साथ यहीं निवास करती हैं। इस मौके पर डॉ आराधना सिंह चौहान कहती हैं कि वे अपनी मां के साथ यहां निवास करती हैं न कि मां उनके साथ। बहरहाल, जिस निश्छल भाव से वे अपनी मां की सेवा-सुश्रुषा करती हैं, ठीक वही भाव दूसरी वयोवृद्ध माताओं की सेवा में परिलक्षित होता है। किसी ने उनसे प्रश्न किया कि क्या आपने कभी मां पर भी कोई कविता रची है। यह सुनकर उन्होंने जो कहा, वह किसी कालजयी कविता से कम नहीं था। वे सरलतापूर्वक बोलीं-‘ मां, अक्सर सोचती हूं कि आपके लिए भी कुछ रचूं, किंतु रच नहीं पाती, क्योंकि कठिन भी तो है, उसके लिए कुछ रचना, जिसने की है स्वयं मेरी रचना।














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