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नो स्मोकिंग डे पर लोगो को किया जागरूक




नो स्मोकिंग डे पर लोगो को किया जागरूक



उमा शंकर मिश्रा की रिपोर्ट

जबलपुर : रामपुर स्थित मेकअप आर्टिस्ट पूजा गर्ग ने 'नो स्मोकिंग डे' ' के अवसर पर पेंटिंग के माध्यम से स्टूडेंट्स  के चेहरों पर धूम्रपान न करने का संदेश लिखती हैं। धूम्र पान छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे मनाया जाता है। धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. यह स्लोगन कई बार लिखा, पढ़ा होगा. लोगों के मुंह भी सुना होगा. सिगरेट, बीड़ी और अन्य तम्बाकू पदार्थों का धूम्रपान व्यक्ति के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है. स्मोकिंग के चलते फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और लोग सांस की विभिन्न बीमारियों से जूझने लगते हैं. अस्थमा उन्हीं में से एक गंभीर बीमारी है. एक बार अस्थमैटिक होने के बाद जीवनभर इस बीमारी से दो चार होना पड़ता है. धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने और उन्हें धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रेरित करने के लिए हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को नो स्मोकिंग डे मनाया जाता है। 





इसका इतिहास यूनाइटेड किंगडम से जुड़ा हुआ है. दरअसल, यूनाइटेड किंगडम में लोग स्मोकिंग के आदी होना शुरू हो गए. देश की एक बड़ी आबादी इस नशे की चपेट में आ गई. यूनाइटेड किंगडम की सरकार ने तय किया कि लोगोें को इस नशे से बचाने के लिए कोई योजना तैयार की जाए. इसके बाद मार्च के बुधवार को विशेष अभियान चलाया गया. इसे एश बुधवार नाम दिया गया. यूके मेें वर्ष 1984 मेें यह पहली बार मनाया गया. हालांकि जैसे जैसे समय गुजरा यह मार्च के दूसरे बुधवार को मनाया जाना लगा. अब विश्व भर में हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को ही यह दिन मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत नशे की लत लोगों को हमेशा के लिए धूम्रपान छोड़ने में मदद करने के उद्देश्य से की गई थी. यह एक हेल्थ अवेयरनेस डे है. हर साल अलग थीम के साथ मनाया जाता है। यूनाइटेड किंगडम के अलावा दुनियाभर में इस दिन स्मोकिंग के खिलाफ अवेयरनेस लाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।





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