सावन के तीसरे सोमवार को यमुना के किनारे जमा गहरेबाजी का रंग
हिंदू, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने की शिरकत
नैनी। सावन के पवित्र माह के तीसरे सोमवार को प्रयागराज में यमुना नदी के किनारे अरैल बांध रोड के निकट गहरेबाजी का आयोजन किया गया। गहरेबाजी का यह आयोजन अब धार्मिक सौहार्द का भी प्रतीक बन गया है। जिसमें प्रयागराज के कोने-कोने से लोग अपने घोड़े के साथ शामिल होने के लिए आते हैं। सावन के प्रतीक सोमवार को गहरेबाजी का आयोजन होता है। शाम को करीब पांच बजे शुरू हुए इस आयोजन को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सदियों पुरानी इस परंपरा में घोड़े की चाल को परखा जाता है।
प्रयागराज में सदियों पहले यह परंपरा तीर्थ विरोधियों द्वारा शुरू की गई थी। सावन के सोमवार पर जब शिवभक्त मंदिरों में पूजन अर्चन के लिए जाते हैं। इस समय गहरेबाजी के घोड़े अपनी चाल से वहां मौजूद लोगों को मन मोह लेते हैं। समय बीतने के साथ ही अब गहरेबाजी के आयोजन में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग अपने-अपने घोड़े के साथ इस आयोजन में भागीदारी कर इसे और खास बना रहे हैं।
इस अवसर पर आयोजन सभा के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज ने बताया कि चार तरह की गहरेबाजी खास होती है। जिसमें सिंधी माद्री चाल, चौटाला चाल , डुलकी चाल प्रमुख हैं। जिसमें सबसे प्रमुख सिंधी माद्री चाल होती है। जिसमें घोड़ा अपने मालिक के इशारे पर शरीर पर जोर डालें बिना एक सदी हुई चाल से लगातार दौड़ता रहता है। जिसमें घोड़े के बाएं पैर के जमीन के स्पर्श के समय दाएं पैर हवा में होता है। घोड़े को इस चल को सीखने के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
इस अवसर पर विष्णु प्रसाद शर्मा, असीम भारद्वाज, अभिषेक शर्मा, सैफ अटाला,साबू दरियाबाद, रमन यादव, सलमान खान, ओसामा, जय सिंह यादव, बनवारी लाल शर्मा,हेमंत पांडे, मोहम्मद नफीस, सलीम दरियाबाद, शमशेर, फहद खान, बदरे आलम, लालता यादव, कलीम, राजू मुंडेरा, जावेद अपने-अपने घोड़े के साथ आयोजन में शामिल हुए।















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